Detailed Notes on Shodashi

Wiki Article



Local community feasts Enjoy a significant role in these functions, exactly where devotees appear together to share foods that often include common dishes. This kind of foods rejoice both of those the spiritual and cultural facets of the Competition, enhancing communal harmony.

एकस्मिन्नणिमादिभिर्विलसितं भूमी-गृहे सिद्धिभिः

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

Unauthorized use or duplication of this product devoid of Specific and written permission from This page’s proprietor is strictly prohibited.

क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥

She could be the one particular acquiring Excessive natural beauty and possessing electric power of delighting the senses. Exciting intellectual and emotional admiration from the 3 worlds of Akash, Patal and Dharti.

Please tell me such yoga that may give salvation and paradise (Shodashi Mahavidya). You are the one theologian who may give me the whole understanding In this particular regard.

Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra creates a spiritual shield around devotees, shielding them from negativity and damaging influences. This mantra functions as a supply of protection, encouraging people today keep a favourable atmosphere free of charge from psychological and spiritual disturbances.

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach

हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।

ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास here होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

Report this wiki page